न देख किसी की राह तू - na dekh kisee kee raah too - Kavi Ambika Rahee - कवि अम्बिका राही


न देख किसी की राह तू ,
अब कर खुद में विश्वास तू,
ये माया मोह ये प्यार तेरे,
ये है पावों के जंजीर तेरे,
जंजीर तोड़ तू आगे बढ़,
है बड़ी नदी पर तू न डर,
जब नदी में दुबकी लगाएगा,
आता नहीं तैरना हाँथ पांव चलाएगा,
जीने में हौसला जुटाएगा,
मुश्किल आसान हो जायेया,
मेहनत कर थोड़ा जोर लगा,
मंजिल पाने की ओर लगा,
एक दिन ऐसा आएगा,
तू भीड़ छोड़ बढ़ जायेगा, 
वो दिन हसीन तेरा होगा,

Kavi Ambika Rahee - कवि अम्बिका राही 

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1 Comments

  1. Dosto ...

    apko ye kavita kaise lagi comment kar ke jaroor bataye....

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