मैंने अपने अनुभव में संबंध बदलते देखा है|
हो चली उमर अब आधी,
वो अब भी न महान हुए,
साथ चले चेतना उठाने,
पर उठने को न तैयार हुए,
मैंने उनकी बातों पर,
जुबा संभालते देखा है|
मैंने अपने अनुभव में संबंध बदलते देखा है|
माना वो कहते रहे मुझे अपना,
पर अपनों सा न व्यवहार हुआ,
जो भी मिलता उनको हँसकर,
मिलने को दिल तैयार हुआ,
मैंने उनकी आँखों को,
राज चुराते देखा है |
मैंने अपने अनुभव में संबंध बदलते देखा है|
यूं तो सफर ये जीवन का,
जो गुजरा तेरे संग मेरा,
है आशीष मेरा तुझको,
जो मिले तुझे आगे पथ पर,
करे प्यार हद से ज्यादा वो,
दोनों के दिल में संगीत बजे,
तेरे मन में शांति उतरे,
रहे बनी मुस्कान तेरी,
जीवन रथ के पहियों को,
हमनें हिलते देखा है|
मैंने अपने अनुभव में संबंध बदलते देखा है|
-अम्बिका "राही"
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