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मैंने अपने अनुभव में संबंध बदलते देखा है| कविता अम्बिका राही
 समर्पण का प्यार तू पायेगा कहाँ - अम्बिका राही
क्या तेरी ऊँची चेतना - पत्नी की समझदारी पर लिखी गयी कविता अम्बिका राही द्वारा
Aaine mein khud ka chehra chhupatey ho n- आईने में खुद का चेहरा छुपाते हो न -Kavi Ambika Rahee -कवि अम्बिका राही
न देख किसी की राह तू - na dekh kisee kee raah too - Kavi Ambika Rahee - कवि अम्बिका राही