क्या तेरी ऊँची चेतना
क्या तेरी ऊँची चेतना,
तेरे भावों में क्या गहराई है,
"राही" जीवन सरल बन गया,
तेरे प्यार में दुबकी खाई है |
ऊँचाई सिर्फ ऊँचे बोल नहीं होती,
वो झुककर भी गरिमा दिखलाती है।
जिसने खुद से संवाद किया हो,
वो ही असली ऊँचाई पाती है।
-Ambika Rahee
पंक्ति-दर-पंक्ति अर्थ:
क्या तेरी ऊँची चेतना, तेरे भावों में क्या गहराई है
यहाँ कवि सवाल कर रही हैं कि किसी व्यक्ति की ऊँची चेतना (High Consciousness) या बौद्धिक स्तर वास्तव में उसके भावों में गहराई (emotional depth) से जुड़ा है या नहीं।
मतलब सिर्फ बुद्धि या सोच बड़ी होना ही पर्याप्त नहीं,
भावनाएँ और संवेदनाएँ भी गहरी हों, यही असली परख है।
'राही' जीवन सरल बन गया, तेरे प्यार में दुबकी खाई है
“राही” मतलब जीवन यात्रा में चलने वाला इंसान।
यह बताती है कि जब कोई प्रेमपूर्ण और संवेदनशील हो,
तो उसका जीवन सरल और सहज बन जाता है।
“तेरे प्यार में दुबकी खाई है” →
इसका अर्थ है कि प्रेम में डूबकर व्यक्ति अपने Ego और झंझटों से ऊपर उठ जाता है,
एक गहरी आत्मा की स्थिति प्राप्त करता है।
ऊँचाई सिर्फ ऊँचे बोल नहीं होती, वो झुककर भी गरिमा दिखलाती है
यह बहुत महत्वपूर्ण पंक्ति है।
असली ऊँचाई (true greatness) सिर्फ जोर से बोलना या दिखावा करना नहीं,
बल्कि विनम्रता और आत्म-सम्मान के साथ झुकने में भी निखरती है।
यानी, जो लोग दूसरों के सामने विनम्र रहते हुए भी आत्मिक गरिमा रखते हैं,
वही सच्चे रूप में महान होते हैं।
जिसने खुद से संवाद किया हो, वो ही असली ऊँचाई पाती है
आत्म-चिंतन (Self-reflection) और अपने भीतर की आवाज़ को सुनना असली ऊँचाई है।
जो व्यक्ति खुद से ईमानदारी से बात करता है, अपनी कमजोरियों और शक्तियों को समझता है,
वही सच्ची महानता और संतुलन प्राप्त करता है।
संपूर्ण भावार्थ:
कविता हमें यह संदेश देती है कि सच्ची ऊँचाई केवल बुद्धि या दिखावे में नहीं होती, बल्कि:
भावनाओं में गहराई,
प्रेम और सहानुभूति में डूबना,
विनम्रता में गरिमा,
और खुद के साथ ईमानदार संवाद
— ये सब मिलकर एक व्यक्ति को वास्तविक रूप से महान बनाते हैं।
- अम्बिका राही
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